मेरे बारे में
नमस्कार मैं आनंद नेगी
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आनंद नेगी: प्रारंभिक जीवन (1973 - 1979)
आनंद नेगी का जन्म 3 मई 1973 को दिल्ली में हुआ था। उनके माता-पिता एक साधारण पृष्ठभूमि से थे, और उनके पिता एक सरकारी कर्मचारी थे। उनका परिवार संघर्षपूर्ण परिस्थितियों में पुनर्वास कॉलोनी में रहता था, जहाँ चुनौतियाँ रोज़ की बातें थीं। इन संघर्षों ने उनकी इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प को मजबूत किया और यही उनके प्रारंभिक जीवन की विशेषता रही।
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जहांगीरपुरी में चुनौतियाँ और शिक्षा (1979 - 1988)
1979 में, जब आनंद 6 साल के थे, उनका परिवार जहांगीरपुरी स्थानांतरित हो गया। उस समय इस इलाके में बुनियादी सुविधाओं का अभाव था—न सीवर था, न पीने का साफ पानी, और न ही बिजली। इसके बावजूद, उन्होंने अपनी विद्यालय की शिक्षा यहीं पूरी की।
उन्होंने भारतीय शास्त्रों, महाकाव्यों और ऐतिहासिक पुस्तकों का अध्ययन किया। इन मूल्यों और परंपराओं के आधार पर ही उन्होंने अपनी शिक्षा को जारी रखा और जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा प्राप्त की।
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सेवा की भावना और सामाजिक बदलाव की ओर रुझान (1989 - 1992)
आनंद नेगी ने हमेशा अपने क्षेत्र के लिए कुछ करने का सपना देखा। उनके दिल में अपने क्षेत्रवासियो के लिए सेवा का भाव गहराई से बसा हुआ था। इसी भावना से प्रेरित होकर उन्होंने 1992 में अपनी पढ़ाई पूरी की और राजनीति की ओर कदम बढ़ाया।
इसी वर्ष, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़कर पार्टी के युवा मोर्चा के रूप में सक्रिय भूमिका निभानी शुरू की। वह शुरू से ही अपने क्षेत्र के विकास और उत्थान के लिए समर्पित रहे।
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राजनीति में प्रवेश और भाजपा के साथ यात्रा (1992 - 1996)
भाजपा में शामिल होने के बाद, आनंद नेगी ने पार्टी के अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने चुनाव प्रचार, जनसंपर्क, और पार्टी की नीतियों को लोगों तक पहुँचाने का काम किया। इस दौरान, उन्होंने भाजपा के जिला और मंडल स्तर पर कई महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियाँ निभाईं।
उनके पिता की गैर-कांग्रेसी विचारधारा और कम्युनिस्ट मूल्यों ने उन्हें राजनीतिक जीवन में एक मजबूत आधार दिया, जिसे वह आगे बढ़ाते रहे।
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व्यावसायिक और राजनीतिक सफर: दिल्ली से बाहर का विस्तार (1997 - 2003)
1996 में, आनंद नेगी ने व्यावसायिक अवसरों के लिए भारत का भ्रमन किया, लेकिन सेवा और राजनीति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता कभी कम नहीं हुई। 2003 में, दिल्ली लौटने के बाद, उन्होंने भाजपा के साथ अपनी राजनीतिक यात्रा को फिर से सक्रिय रूप से शुरू किया।
वह भाजपा में दिल्ली प्रदेश भाजपा के पर्वतीय प्रकोष्ठ - जिला केशवपुरम प्रभारी के रूप में नियुक्त हुए, जहाँ उन्होंने उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के विकास और वहां के लोगों की राजनीतिक सक्रियता पर काम किया।
वर्तमान मे वे उत्तराखंड प्रकोष्ठ सह संयोजक दिल्ली प्रदेश भाजपा से जुड़े हुए हैं।
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सेवा और पर्यावरण के प्रति योगदान (2003 - वर्तमान)
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वृक्षारोपण अभियान और पर्यावरणीय योगदान - आनंद नेगी का सबसे प्रमुख योगदान उनका वृक्षारोपण अभियान है, जो उन्होंने पिछले 18 सालों से चलाया है। उन्होंने अब तक 50,000 से अधिक पेड़ लगाए और दिल्ली, उत्तराखंड एवं अन्य राज्यो में भी वृक्षारोपण किया है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनकी यह प्रतिबद्धता उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
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राम मंदिर में योगदान - जब राम मंदिर की स्थापना हुई, आनंद नेगी ने इस ऐतिहासिक अवसर को मनाने के लिए न केवल दो लाख दीयों का वितरण किया, बल्कि भव्य रूप से इस अवसर को भी मनाया। उन्होंने 1,11,111 रुपये का निजी दान किया और लाखों रुपये का दान एकत्रित कर राम मंदिर निर्माण में योगदान दिया। यह उनके धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों के प्रति उनकी गहरी आस्था और समर्पण को दर्शाता है।
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COVID-19 महामारी में योगदान (2020 - 2021)
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महामारी के दौरान, आनंद नेगी ने अपने क्षेत्र में लोगों की हरसंभव मदद की। पहली लहर के दौरान, उन्होंने 50,000 से अधिक मास्क, सैनिटाइज़र, और आवश्यक खाद्य सामग्री वितरित की, ताकि कोई भी इन चीज़ों के अभाव में न रहे।
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दूसरी लहर के दौरान, उन्होंने व्यक्तिगत रूप से 15 ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदे और 3 लाख मास्क वितरित किए। इसके साथ ही, उन्होंने औषधीय काढ़ा बनाकर लोगों को बांटा, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ सके। इस सेवा के दौरान उन्हें खुद भी कोरोना हुआ, लेकिन उनकी बीमारी के बाद क्षेत्र के लोगों ने उन्हें अपार सम्मान और स्नेह दिया।
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महामारी के समय, आनंद नेगी ने बुजुर्गों और असहाय लोगों के लिए तीन वक्त का भोजन सुनिश्चित किया, जिससे प्रतिदिन 500 से 700 लोगों, विशेषकर बुजुर्गों को मदद मिली। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि जरूरतमंद लोगों को रोज़ाना भोजन मिले, और यह उनकी सेवा भावना का एक और उदाहरण है।
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उत्तराखंड की ओर वापसी और भविष्य की योजनाएँ (2023 - वर्तमान)
अब आनंद नेगी उत्तराखंड की ओर लौट चुके हैं। उन्होंने अपने पैतृक गाँव पवाई और कुर्याली में दो रिज़ॉर्ट बनाने की योजना बनाई है और वहां की बंजर भूमि को ऑर्गैनिक खेती में बदलने का काम शुरू किया है। उनका उद्देश्य पलायन को रोकना और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना है। तथा 650 पेड सेब के व 100 पेड आरू के भी लगाए, जिसने सेब के पेड़ो ने फल देना प्रारंभ कर दिया है |
वह पहले ही 10 पॉली हाउस स्थापित कर चुके हैं, तथा 650 पेड सेब के व 100 पेड आरू के भी स्थापित किये, जिसमे सेब के पेड़ो ने फल देना भी प्रारंभ कर दिया है | और अब वे मत्स्य पालन और पशुपालन शुरू करने की योजना भी बना रहे हैं। उनकी योजना है कि जिस प्रकार उन्होंने दिल्ली में सेवा की, उसी प्रकार उत्तराखंड में भी अपने गाँव और क्षेत्र के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में योगदान दें।
सुनें आनंद नेगी की प्रेरक यात्रा और उनके साथ एक बेहतर समाज के निर्माण में सहभागी बनें।
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उद्देश्य वक्तव्य
उत्तराखंड में पर्यावरण संरक्षण और ऑर्गैनिक खेती के माध्यम से आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना, स्थानीय रोजगार सृजन करना और रिवर्स माइग्रेशन को प्रोत्साहित करना।